अधिवक्ता समाज भुखमरी के कगार पर:राजकुमार गोरखपुर। करोना महामारी में न तो बार ने हीऔर ना ही सरकार ने ऐसे अधिवक्ताओं की सुध ले रहा है जो कि "हैंड टू माउथ" है यदि अभी भी यह लोग नहीं चेती तो आने वाले दिनों में तमाम अधिवक्ता भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे उक्त बातें अधिवक्ता राजकुमार श्रीवास्तव ने कहीं उन्होंने कहा कि शासन ने विगत दिनों यह घोषणा की थी कि वर्ष 2017 और 2019 में पंजीकृत अधिवक्ताओ को प्रतिवर्ष ₹ पांच हजार दिए जाएंगे जो कि केवल घोषणा बाजी ही तक ही सीमित रह गई इसके अलावा पूर्व में बार काउंसिल आफ इंडिया द्वारा भी बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को अधिवक्ताओं की आर्थिक सहायता हेतु एक करोड़ रुपए दिए जाने की लालीपाप दिया गया जो बयानों तक ही सीमित रह गया। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से करो ना महामारी जिस तेजी से अपना पांव पसार रहा है उससे उद्योग धंधों के साथ वकालत पेशा भी बुरी तरीके से प्रभावित हुआ है पूरे विश्व में करोना संक्रमण ने अपने गिरफ्त में लिया उससे अपना भारत भी अछूता नहीं रहा जिस को संदर्भ में लेते हुए प्रधानमंत्री ने लाक डाउन को दो फेज में करते हुए तीन मई तक किया गया हालांकि जिस तरीके से संक्रमण बढ़ रहा है और मौजूदा हालात के मद्देनजर लोगों में जिज्ञासा बनी हुई थी कि लाक डाउन बढ़ेगा या कुछ रियासतों के साथ खोल दिया जाएगा। इस संशय पर विराम देते हुए 14 दिनों का और लाक डाउन बढ़ा दिया गया । तमाम अधिवक्ता वो है जो रोज कमाते तब खाते है । अब महीने से भी अधिक दिन हो जाने के कारण इनकी जीविकोपार्जन संकट के जद में आ गया है जिस को समझते हुए तमाम अधिवक्ता एक दूसरे की मदद करते दिख रहे हैं लेकिन यह मदद नाकाफी है ऐसे में सरकार और बार एसोसिएशन को को कोई ठोस कदम उठाना चाहिए जिससे वह भी जीवन की नैया को पार लगा सके । यदि इस पर जल्द निर्णय नहीं लिया गया तो स्थिति भयावह होगी।
<no अधिवक्ता समाज भुखमरी के कगार पर:राजकुमार