पियक्कड़ों का जुगाड मैनेजमेंट "                                                                             

"पियक्कड़ों का जुगाड मैनेजमेंट "                                शराब कारोबारी और पुलिस के मिलीभगत से लाक डाउन ने बनाया चोखा धंधा                                              गोरखपुर।शहर क्षेत्र में सुनी सड़को पर कुछ ऐसे भी क्षेत्र है जहां आज भी लड़खड़ाते क़दमों से जोर जोर के शोर लगाते देखे जा सकते है।हालाकि सभी को पता है कि यह सड़के सुनी क्यों है प्रत्येक नागरिक को पता है कि लाक डाउन का पालन करना अनिवार्य है। फिर लड़खड़ाते कदमों से जोर-जोर सुर लगाते यह गवाइए कौन है।ये जब जोश में आते है तब पुलिस आती जाती गाड़ियों को गालियां बकते हुए जमीन पर लोट जाते है।जी हां हम बात कर रहे हैं हम नहीं सुधरेंगे की कसम खाने वाले पेशेवर पियक्कड की।राजघाट पुल से गोरखपुर शहर में प्रवेश करते ही दाहिने क्षेत्र में अमुरतानी इन दिनों कच्ची के लिए आबाद है ।बंधे से आगे बढ़े तो झरवा और कठौर में पियक्कड़ों का जुगाड मैनेजमेंट खूब काम कर रहा है।दिन के उजाले में या अंधेरे की बात हो शहर के नागरिक अपने घरों में अपने परिवार के साथ रहकर करोना मुक्त भारत का समर्थन कर रहे है।तो ऐसे में सुनी सड़को पर घूमते ये पियक्कड  सुरापान कहा और कैसे कर रहे है यह रहस्य है।ज्यो ही शाम  के पांच बजता है राप्ती नदी के किनारे पियक्कड़ों का जमघट उमड़ा रहता है।यह वह समय जब पुलिस शहर में नाकेबंदी में व्यस्त रहती है। इस बात को समझने- समझाने के लिए   कच्ची के व्यापारी को समय कौन तय करता है?मंडी के पीछे इसी बंधे से आगे जाय तो राप्ती नदी के किनारे के गावों में व्यापार खूब फल  फूल    रहा है।शहर के दूसरे छोर पादरी बाज़ार क्षेत्र में खुलेआम शराबियो को घूमते हुए देखा जा सकता है।शाहपुर पुलिस इन शराबियो पर नकेल कसने की नीयत से एक गाव को पूरी तरह अपनी तरफ से सील कर दिया है। गांव से निकलने वाले सारे रास्ते को बंद कर दिया। इन पियक्कड़ों को कच्ची शराब की उपलब्धता के कारण लाक डाउन का उद्देश्य संदेह पैदा करता है। इन पियक्कड़ों में बाहर से आए हुए मजदूर भी शामिल हो रहे है।इन्हीं में से कुछ ने बताया कि पुलिस के लोग लाइसेंसी दुकानों को खुलवाकर कैरेट से माल की उपलब्धता करा दे रहे है।जिससे शीशी पर भारी भरकम मुनाफा बनाई जा रही है।देशी दारू बंटी बबली जो कि सामान्य दिनों 45 की मिलने वाली वर्तमान में दुगने से भी अधिक रेट में बेची जा रही है तो वहीं अंग्रेजी शराब भी इसी पैमाने के साथ उपलब्ध है ।हालाकि आबकरी विभाग द्वारा इन क्षेत्रों में दविश दी जा रही फिर भी दविश और बिक्री के समय में प्रगाड़ता है जिससे दोनों का काम जोरों से चल रहा है।